Sunday, January 18, 2009

लागा चुनरी में दाग ...


लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....

मैं बांवरी तेरी ,तेरे प्यार में,
झूमी बांगो में दिल हार के,
कोई फूल था महका बांगो में,
बची खुशबु को मिटाऊँ कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....

तू पागल मुझे कर गया जालिम,
इश्क में तेरे हार गया दिल,
हट गई चादर की वोह सिलवट ,
दिल की सिलवट हटाऊँ कैसे
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....

थे पैमाने कुछ कुछ छलके,
दिए घाव दिलो ने हलके,
भर गए जख्म जिगर के ऊपर,
जख्म जिगर के दिखाऊँ कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....

बीता बचपन याद है आये,
बोले बाबुल बहुत सताये,
मेरा साजन मुझको दे गया धोका,
अब बाबुल घर जाऊं कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....


2 comments:

  1. इस कविता में उस लड़की के शब्द है जो किसी से बेहिंतहा मोहब्बत करती थी,पर वो इसे छोड़ कर चला गया,रह गई तो केवल उस की बेवफाई....इसका दर्द .....और एक दाग.....

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  2. bahut he sunder
    aise he likte raho

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