रोशनी की तलाश में है दर बदर भटका ये दिल ,
पर छुपा है सुकून ख़ुद उस की ही गहराई में ।
हमसफ़र तो छोड़ गया है रस्ते में ही ,
अब तो भागते है ख़ुद की परछाई से ।
आहत भर से लगता है वोह आयें है,
नूर लेकर जिंदगी भर का ,
पर खुली आँख हंशी ख्वाब से जब ,
देखा रोती थी वोह भी चुपचाप तन्हाई में .
शशि दिल से ...