मुझे ना मतलब दुनिया से अब ,हुई दीवानी भूल गई जग ,
तेरी जोगन बनके झूमू ,बिन सावन झूलों पे घूमू ,
मुझे कहे केरी हर साँस दीवानी ,यौवन ने यह लिखी कहानी ,
आँख को मूंदू तुझको पाऊं ,बिठा सखी से पाठ पड़ाऊँ,
मुझे लगा ये रोग अनोखा ,नीम हकीम लगे सब धोका,
बिस्तर पे जल्दी से जाऊं,तकिये को हर बात बताऊँ ,
दर्पण से करूँ शर्म मैं ,लगे फरक न जियन मरण में,
एक पैर की पायल भूलूं ,गर्म कडाई हाथ से छूलूं ,
बहकी बहकी बात करूँ मैं ,दर्पण से हर रात लडू मैं
बिन बारिश छतरी ले नाचूं, थाम नब्ज़ ये रोग ये नापूं ,
जाऊं पनघट घूम के नगरी ,लौटूं घर ले खाली गगरी ,
समझ से अपनी पार चली मैं ,एक कातिल पे दिल हार चली मैं
पर उसको मेरी फिक्र नही है ,उसका दिलबर और कहीं है ,
टूटे दिल मैं आँख भिगोऊँ ,हर पल उसकी आंस है जोहूँ ,
पलक सूज गई रात को जग जग ,पर उन्हें पड़े न फर्क न मतलब ,
हो गए आज तिन बरस रो रो के, आज भी उनको हर बात में सोचे,
मैं पागल मैं दीवानी मीरा ,कृष्ण नाम की थाम मंजीरा ,
अपनी बीती बात बताऊँ ,लिखे शशि गान ये गाऊँ,
हमने बस यह इश्क में सीखा ,टूटे दर्द पर दर्द अनोखा .
'शशि' दिल से ....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
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