Tuesday, February 24, 2009

टूटे दर्द पर दर्द अनोखा ......

मुझे ना मतलब दुनिया से अब ,हुई दीवानी भूल गई जग ,
तेरी जोगन बनके झूमू ,बिन सावन झूलों पे घूमू ,
मुझे कहे केरी हर साँस दीवानी ,यौवन ने यह लिखी कहानी ,
आँख को मूंदू तुझको पाऊं ,बिठा सखी से पाठ पड़ाऊँ,

मुझे लगा ये रोग अनोखा ,नीम हकीम लगे सब धोका,
बिस्तर पे जल्दी से जाऊं,तकिये को हर बात बताऊँ ,
दर्पण से करूँ शर्म मैं ,लगे फरक न जियन मरण में,
एक पैर की पायल भूलूं ,गर्म कडाई हाथ से छूलूं ,

बहकी बहकी बात करूँ मैं ,दर्पण से हर रात लडू मैं
बिन बारिश छतरी ले नाचूं, थाम नब्ज़ ये रोग ये नापूं ,
जाऊं पनघट घूम के नगरी ,लौटूं घर ले खाली गगरी ,
समझ से अपनी पार चली मैं ,एक कातिल पे दिल हार चली मैं

पर उसको मेरी फिक्र नही है ,उसका दिलबर और कहीं है ,
टूटे दिल मैं आँख भिगोऊँ ,हर पल उसकी आंस है जोहूँ ,
पलक सूज गई रात को जग जग ,पर उन्हें पड़े न फर्क न मतलब ,

हो गए आज तिन बरस रो रो के, आज भी उनको हर बात में सोचे,
मैं पागल मैं दीवानी मीरा ,कृष्ण नाम की थाम मंजीरा ,
अपनी बीती बात बताऊँ ,लिखे शशि गान ये गाऊँ,
हमने बस यह इश्क में सीखा ,टूटे दर्द पर दर्द अनोखा .

'शशि' दिल से ....


No comments:

Post a Comment

इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

Popular Posts