बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
Tuesday, April 21, 2020
Sunday, April 12, 2020
हाँ ... हमने खड़े होके वो वक़्त गुज़ार लिया !!!
आज वापस उस मोड़
पे इन्तज़ार किया...
हाँ ..हमने खड़े
होके वो वक़्त गुज़ार लिया ...
जब कही किसी की
पायल सी छनकी ,
मुझे लगा कि शायद
तू आयी ...
मगर मुड़ के जो
देखा तो कुछ ख़ामोश सी थी तन्हाई ...
तूने कहा था उस
दिन कि ,एक बार दिल से
पुकार लेना ,मुझे पाओगे क़रीब
में,
तेरी क़सम ये काम
भी ...एक बार नहीं सौ बार किया ...
हाँ ... हमने
खड़े होके वो वक़्त गुज़ार लिया !!!
आज उस मोड़ पे
......
मुझे समझा सके जो इश्क़ तो ग़ालिब की शायरी पढ़ ली है ...
जो ना समझ सकी तू
तो , बेवफ़ाई से ही तक़दीर भर लेते है ...
चलो एक दफ़ा और
तेरी तस्वीर से ही तकरीर कर लेते है ...
बहुत इन्तज़ार
किया ...
उन यादों को
जिनको तूने नकार दिया ,
हम ने भी उसको
यादें समझ अपने पास सवाँर लिया ....
कभी रोना होगा तो
खोज लूँगा तेरा चेहरा इन यादों में ...
जो मुस्कुराना
हुआ तो कुछ पल मोहब्बत के निकाल लूँगा इन यादों में ...
है दिल में अभी
भी उम्मीद लिए बैठे कि तू आएगी मिलने शायद ....
इस आस में ही इन
हथेली पे तेरे साथ की कुछ सी लकीर भर लेते है ...
हाँ, तेरी तस्वीर से
ही तक़रीर कर लेते है ...
बहुत इन्तज़ार
किया ...
चलो एक दफ़ा और
....
हाँ ...हमने खड़े
होके होके वक़्त गुज़ार लिया !!!!
इन्तज़ार
बहुत इन्तज़ार
किया पर ,तू आज फिर ना आयी
....
चलो एक दफ़ा और
तेरी तस्वीर से ही तक़रीर कर लेते है ...
मुझे समझा सके जो
इश्क़ ,तो ग़ालिब की
शायरी पढ़ ली है ...
जो ना समझ सकी तू
तो , बेवफ़ाई से ही तक़दीर भर लेते है ...
चलो एक दफ़ा और
तेरी तस्वीर से ही तकरीर कर लेते है ...
बहुत इन्तज़ार
किया पर ...
#तक़रीर :- बातें
एक दफ़ा मुड़ के जो देख लेते
तेरी आशिक़ी में
उस दिन एक गुलाब जो भेजा था ...
बन्द लिफ़ाफ़े
में ही पर एक ख़्वाब जो भेजा था ...
तू सूंघ लेती जो
महक को ,तो जन्नत नसीब हो
जाती...
सवालों से उलझा
रहा उम्र भर ,
गिरे पैमानों में
तो एक जवाब जो भेजा था ...
ढहर जाती रूह ये
जो उस दिन ...
निगाहों से जुड़
के जो देख लेते ...
जाते जाते ही सही
पर आख़िरी पल ,
एक दफ़ा मुड़ के जो देख लेते....
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