Tuesday, April 21, 2020

‘साथ’ तेरा


आरज़ू-ए-मंज़िल कहीं,

दफ़न हुई रास्ते में ही...

साथतेरा जो हंसी
 इस क़दर ठहरा  

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इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

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