Sunday, April 12, 2020

नुमाइश





ग़ुनाह बस इतना सा था ,उस मछली का,

बला की ख़ूबसूरत जो वो ठहरी....

सज़ा कुछ यूँ मिली ,कि ज़िन्दगी भर ,

बस नुमाइश की एक चीज़ बन बैठी ...

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