Friday, January 16, 2009

है मुक़द्दर मेरा लिख गया....

है मुक़द्दर मेरा लिख गया ,तेरी हँसी मुश्कान से ,

लकीरों से है तेरा चेहरा बना ,है गुमशुदा हम ख़ुद की पहचान से .

असर कुछ इस कदर है हम पर तेरी खूबसूरती का कि,

भरी महफ़िल में लोग कहते है शायरी पढ़ रहा हूँ ,पर लब्ज़ निकलते है बस तेरे ही नाम से .


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