लकीरों से है तेरा चेहरा बना ,है गुमशुदा हम ख़ुद की पहचान से .
असर कुछ इस कदर है हम पर तेरी खूबसूरती का कि,
भरी महफ़िल में लोग कहते है शायरी पढ़ रहा हूँ ,पर लब्ज़ निकलते है बस तेरे ही नाम से .बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...
kya baat hai, bahut khoob
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