Friday, December 23, 2011

माँ तुम लौट आओ .... कि बड़ी याद आती है तुम्हारी..


यह कविता हमने अपनी माँ के लिए लिखी है..
इस पूरी दुनिया में उनसे प्यारा कोई ना था, ना कोई होगा..
माँ .. I LOVE YOU

जब कभी दर्द होता है माँ  बड़ी  याद आती है ,ये उनके लिए लिए ..
जिनके पास बस याद है ..माँ नहीं ..
बुरा लगे दोस्तों तो माफ़ कर देना ...

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बहुत दिन हो गए इन आँखों को चैन की नींद देखे..
माँ तुम लौट आओ .... कि बड़ी याद आती है तुम्हारी..
यह सब बड़े झूठे है..कहते है कि तुम पास में हो...
हाँ अगर हो तो बस एक एहसास में क्यूँ हो..
माँ .. मैं अब मैं हर सुबह जल्दी उठ जाता हूँ...
कसम से तुम्हरी .. बिना कुछ कहे बाबु जी हर बात मन जाता हूँ..
बड़ा सुना लगता है .यह आँगन बिना तेरी आवाज के..
आवाज सी कुछ दब गयी..मेरी हर एक बात में..
बाबु जी ..कुछ ना कहते पर... आँख पे नमी है उनकी हर पल..
सब कुछ है बदला सा यहाँ..खामोश सी है हर हल चले..
मैं ....खुद को तो संभाल लू सच में...पर छोटू बड़ा जिद करता है..
कहता है माँ को बुला दो वापस .. गोद में सोने का मन करता है..
यह लिखा रहा हूँ.. और आँख में आंशू से ना जाने क्यूँ आ रहे है..
वादा किया तुमसे जो ना रोने का जो.. बूँद बूँद उसे झुठला रहे है..

सच में माँ क्यूँ इतनी दूर चली गयी हो..फ़िक्र ना सताती है तुमको क्या हमारी .. 
माँ तुम लौट आओ .... कि बड़ी याद आती है तुम्हारी..

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