Friday, December 23, 2011

उन्हें तन्हाई में लिखी एक किताब में...

उन्हें तन्हाई में लिखी एक किताब में कुछ छिपा के हम ने रखा है ...

उनके नाम के पन्नो के बीच में एक हंसी गुलाब दबा के हम ने रखा है ...
पर आज वो गुलाब भी बेरंग है..और वो नज़्म भी ख़ामोश सी है ..
बस एक ख्वाब संग मैं जिन्दा हूँ.. उनके होंठो पे जो सजा के हम ने रखा है ...

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