यूँ अकेला मैं ,अनजान सा ,कलम लिए ,तेरे चेहरे की लकीरें हूँ खींचता ,
जब लकीरों ने मेरे हाथ की है दुश्मनी निभाई ,तो कागज से कौन सा रिश्ता ,
शशि ' दिल से.....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...
वाह !!
ReplyDeletethanx ranjana ji...
ReplyDeleteबेहतरीन ..... कम शब्दों में खूब लिखा है...
ReplyDeleteHi,
ReplyDeleteI M Krishna ( Shyam )
U r Excellent Poet
Nice Poem This
7/12/2010 12:26