क्यों हंसी वो याद आती है हर पहर ....
जब निशानी उसकी इन हांथो से भी मिटा बैठे है हम ....
शशि 'दिल से .....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...
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