Friday, November 19, 2010

क्यों हंसी वो

क्यों हंसी वो याद आती है हर पहर ....

जब निशानी उसकी इन हांथो से भी मिटा बैठे है हम ....


शशि 'दिल से .....

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इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

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