एक रात वो थे बैठे ,और कह रहे थे की ...खफा है हम उनसे ...
और हम बस ये कह पाए की खफा तो तुम भी हो ....
जागे तो हम भी है ...जागे तो तुम भी हो ...
खफा जो मैं तुमसे हूँ ...खफा जो तुम भी हो ...
सजा ये कौन देगा ...तकलीफ ये किसको होगी ...
नमी में हम है ...नमी में तो तुम भी हो ....
आखिरी दर्द का एहसास सा है लगता तेरा दूर जाना ,
पास तो पर मैं हूँ तेरे ..और पास मेरे तुम भी हो ...
अब गर्म हवाएं इन साँसों की है दे रही दस्तक तुम को ...
सुनाई दे रही है हमे ये ..और रहे सुन तुम भी हो ...
बस अब करीब आ जाओ खामोश कर दो आहटे तकरार की ..
प्यार में तेरे मैं हूँ तेरे ..प्यार में मेरे तुम भी हो ...
शशि 'दिल से ...
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
Thursday, January 20, 2011
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