Wednesday, March 4, 2009

होती ना अगर आपसे से मोहब्बत हमको .....

होती ना अगर आपसे से मोहब्बत हमको ,तो रंग ना उस दुनिया के हम कहानियो में समेटते ।
ना शायरी से यूँ दोस्ती करते ,न पन्नो पे ख्वाब बिखेरते ।
गर इनकार ना तुम करते उस दिन तो ,न यूँ पैमानों से हम मचलते ,
सहनाई पे तेरी न यूँ गीत गाते ,न ख़ुद ही ख़ुद की शायरी के शब्दों से यूँ खेलते ।
शैलांश ....

6 comments:

  1. गर इनकार ना तुम करते उस दिन तो ,न यूँ पैमानों से हम मचलते ,
    Bahut khuub wah ..wah, sundar likha hai aapnne
    kisi ne kaha hai..
    Dil lene ki tumko aarju thi
    ab jaan se,lo apni gaye ham ..
    meri shubhkamnae sweekar karen ..mk

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  2. मैं शायर तो नहीं मगर ऐ हसीं तेरी मुहब्बत ने कुछ सिखा दिया ।
    कुछ इस कदर छाया है तेरा जादू मैंने सबको अपना दिल दिखा दिया।

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  3. होती ना अगर आपसे से मोहब्बत हमको ,
    तो रंग ना उस दुनिया के हम कहानियो में समेटते

    Well said.........

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  4. हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ...........

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