Tuesday, February 8, 2011

"अनु है मेरी ......"


आज इतने दिनों बाद एक बात का एहसास हो गया कि जो सबसे खूबसूरत रचना होती है वो किसी और को कभी उतनी पसंद नहीं आती क्यूंकि जिस नजरिये से उसे आप देखते है वो कभी कोई और देख ही नहीं सकता,और उस ख़ूबसूरती में अलग ही नशा है जिसका दीदार के केवल आपके पहलु के करीब है.....कुछ ऐसे है मेरे एहसास और कुछ ऐसी
"अनु है मेरी ......"



कभी सच सी तो कभी ख्वाब सी ,
बारिश की बूँद सी नम या ,
अनकहे अनसुने सवालो के जवाब सी ,

गर्म सांस है मेरी या एक ठण्ड बर्फ है ,
है कोई जिंदगी ये या कहानियो का हिसाब है ,
जो किसी और ने ना पढ़ सकी ऐसी ही एक किताब है ,

क्या है ये कौन है ....जिंदगी जो सजाती है ...
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...


नील रंग साड़ी में ,मुश्कुराहते बिखेरती ,
एक गुलाब के लाल सी ,कुछ कहानिया समेटती ,

क्या है ये कौन है ...पास जो आ जाती है ..
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...

ये दिया जलाके प्यार का हर रात मेरे मंदिर में ,
पूजा करे वो इश्क की दो हाथ जोड़े मंदिर में ,


अगर खुद कभी मैं जिंदगी को लिख पाया ,
तो कलम पे उसका नाम होगा ,पन्नो में वही साया ,

क्या है ये कौन है ...हर साज़ जो सजाती है ..
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...

बड़ी रात को जग कर मैं ...उसके एह्साह की तकिये लिए ,
आँचल ओढ़ उस अंगडाई का ...नैनो से एक जाम पिए ,

नशे में मैं कुछ खो बैठा काश वो आये ,
पर सुबह पहले है आ जाती रात को बिन बताये ,

क्या है ये कौन है ...एक नज़्म जो सुनती है ..
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ..

दूरियां हो भले ...करीब ना ही शायद हो सके ...
एह्साह की चादर लिए ...प्यार के कम्बल तले ...

ना सर्द होगी ...ना गर्म होगा ..
बस वो होगी और मैं हूँगा ...
ना कौम होगा ...ना धर्म होगा .
बस इश्क होगा और मैं हूँगा ...

अनंत में एक आस है ...आंशुओ में ही साथ है ,
जहाँ तलक वो ले चले ...उन रास्तो में ही साथ है ,

ना किसी के लिए कुछ लिखा ..ना किसी से कुछ कहा ..
बस पथ्थरो पे हाथ फेरा ...लकीरों ने है कुछ कहा ...

क्या है ये कौन है ...आंसुओ में सो जाती है ..
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...
क्या है ये कौन है ...इस नूर की बाती है .
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...
क्या है ये कौन है ..खो गया जो साथी है ..
अनु है मेरी ...हाँ ..अनु है मेरी ...

4 comments:

  1. विरह वेदना का मार्मिक चित्रण..
    उम्मीद करता हु की ये अनु एक काल्पनिक पात्र हो...
    बधाइयाँ

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  2. धन्यवाद आशु जी ..काश आप की बात एक सच होती ...पर अनु एक कल्पना मात्र ना है ..उस से भी परे है ....

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  3. Dil k bahut hi karib se guzri sirji har ek pankti... bahut hi sundar rachna..

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  4. yaar vedna se adhik vandana lag rahi hai anu-prem ki
    par anu ki "vastavikta" kya hai ... sawaal ab bhi baki hai!!!

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