Sunday, August 7, 2011

एक साथ खोज लेता ..







तू आज पास होता तो एक साथ खोज लेता ..
दबे से हुए है कुछ राज़ दिल में , संग तेरे वो राज़ खोज लेता ...
मेरी हथेली में सिमट बैठा है वो साथ कुछ लम्हों का..
साथ होता तू अगर तो ,मुठ्हियों में वो साथ खोज लेता ..
तू आज पास होता तो एक साथ खोज लेता ..

अगर ये शहर को कहते है खुबसूरत तो क्यूँ भला..
लग रहा है क्यूँ एक अँधेरा सा बिन तेरे...
मैं रोशनी को हूँ कब से खोजता इस चांदनी में ..
पर मिल नहीं रहा है सवेरा बिन तेरे ..

है छुपी सी इन लबों में कुछ बात मेरे..
रुक जरा ये पल तो, मैं वो बात खोज लेता ..
तू आज पास होता तो एक साथ खोज लेता ..

यह पेड़ ,बारिश और बिजलियाँ ,
तेरी याद ,खाव्हिश और तितलियाँ ..
कुछ पतंगे है मुझसे कह रहे,
आंखे तेरी और तेरी अठखेलियाँ ..

नींद कब कि है खो गयी इस रात में..
तू रुक जरा तो साथ तेरे,वो रात खोज लेता ..
तू आज पास होता तो एक साथ खोज लेता ..

शशि' दिल से ...

3 comments:

  1. श्रेष्ठ और उम्दा रचना।। तभी आप मेरे गुरु हो दिल से

    ReplyDelete

इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

Popular Posts